आज अपने शहर की सड़कों पर चलते हुए जो शुकून र एहसास हुआ, वो अब से पहले कभी नहीं हुआ था। ऐसा लगा जैसे बरसों बाद मुझे मां का आंचल मिला हो। अपने सारे दर्द सारे गम भूलकर मैं चैन नींद सो रहा हूं। तभी िकसी सी आहट ने उसके आंचल की छांव को मुझसे दूर कर दिया।
सोमवार, 17 मई 2010
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